Gardeners are worried due to breaking of roads due to heavy rains, now the challenge is to reach the market.

बागवानों को भारी बारिश से सड़कें टूटने से बढ़ी चिंता, अब फसल को मंडी पहुंचाना चुनौती

Gardeners are worried due to breaking of roads due to heavy rains, now the challenge is to reach the market.

Gardeners are worried due to breaking of roads due to heavy rains, now the challenge is to reach the

शिमला:जिला के ऊपरी क्षेत्रों में बारिश से हुए नुकसान के बाद अब बागवानों को एक तरफ तो घर बगीचे की चिंता सता रही है। दूसरी तरफ उन पर अब सेब को सड़क तक पहुंचाने का अतिरिक्त भार पड़ गया है। कोटगढ़ की 3 पंचायतों में मधावनी, देवनटी सहित बरबाडी में पंचायतों के दोनों तरफ आठ से दस किलोमीटर तक की सड़क टूट चुकी है।

गांव के दोनों तरफ ही खत्‍म हुई सड़कें

बागवानों को अपनी फसल को सड़क तक पहुंचाने के लिए 200 रुपये प्रति क्रेट मजदूरी देनी पड़ रही है। यहां पर सड़क गांव के दोनों तरफ ही खत्म हो गई है। इसलिए लोगों को सड़क तक अपनी फसल मजदूरों के माध्यम या खच्चर के माध्यम से सड़क तक पहुंचा नहीं पा रहे हैं।

इसके बाद मंडी तक पहुंचाने के लिए सेब का अतिरिक्त खर्च बागवान पर पड़ रहा है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि यहां पर सड़क बनाने में भले ही अभी समय लगेगा लेकिन अस्थाई तौर पर कच्ची सड़क बना दी जाती है तो लोग अपनी फसल को समय पर मंडी में पहुंचा सकेंगे।

प्रदेश का पहला हार्टिकल्चर रोड़ बना हुआ है

कोटगढ़ क्षेत्र सेब के लिए विख्यात है। हर साल हजारों पेटियां सेब यहां से मंडियों में बिकने के लिए आती है। यहां पर प्रदेश का पहला हार्टिकल्चर रोड़ बना हुआ है। बिथल से ओढ़ी तक यह सड़क है। इसकी हालत काफी खस्ता है। जगह जगह यह क्षेत्र भू सख्लन के कारण बंद पड़ा हुआ है। इसकी हालत ठीक नहीं है। लोगों का कहना है कि इस सड़क से सेब मंडियों तक पहुंचता है। सड़क बंद होने से सेब को मंडियों तक पहुंचना चुनौतीपूर्ण हो गया है।

12 पंचायतों को पहुंचा है नुकसान

शिमला जिला के कोटगढ़ की 12 पंचायतों में भारी नुकसान हो गया है। 10 जुलाई से लेकर लगातार हो रही बारिश से जगह जगह भू सख्लन हुआ है। बादल फटने की घटनओं ने इन क्षेत्रों में तबाही मचाई है। क्षेत्र के 40 के करीब घरों में दरारे आने से यह खतरे की जद में आ गए हैं।

जबकि कुछ घर व गऊशालाएं गिर गई है। एक गऊशाला में तो मवेशी भी दब कर मर गए हैं। क्षेत्र में कुछ लोग बेघर हो गए हैं। बागीचों में सेब की खड़ी फसल तबाह हो गई है। भूसख्लन की चपेट में आने से क्षेत्र में कई कई बीघा सेब के बागीचों का नामो निशान ही मिट गया है।